नई दिल्लीः भूकंप, बाढ़, सुनामी-तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं की सही भविष्यवाणी करने और समुद्री व ध्रुवीय संसाधनों की खोज के लिए आने वाले सालों में देश में व्यापक अध्ययन व प्रणाली विकसित की जाएगी. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने हाल ही में कैबिनेट बैठक में 4797 करोड़ की पृथ्वी योजना को मंजूरी दे दी. इस योजना के तहत अलग-अलग संस्थानों में एकीकृत बहु-विषयक पृथ्वी विज्ञान रिसर्च और नए कार्यक्रमों का अध्ययन करने की क्षमताएं विकसित की जाएंगी.
5 साल के लिए तैयार की गई इस योजना में मौसम और जलवायु, महासागर, भूकंपीय विज्ञान की बड़ी चुनौतियों का समाधार करने की दिशा में काम होगा. इसके अलावा ध्रुवीय क्षेत्रों में रिसर्च कर उनके स्थायी दोहन के लिए जीवित और निर्जीव संसाधनों का पता लगाया जाएगा. पृथ्वी योजना के उद्देश्यों में पृथ्वी प्रणाली और परिवर्तन के महत्वपूर्ण संकेतों को रिकॉर्ड करने के लिए वायुमंडल, महासागर, भूमंडल, क्रायोस्फीयर और ठोस पृथ्वी के दीर्घकालिक अवलोकनों को बढ़ाना और बनाए रखना है. साथ ही मौसम को समझने और भविष्यवाणी करने के लिए मॉडलिंग सिस्टम का विकास शामिल हैं.
इसमें नई घटनाओं और संसाधनों की खोज के लिए पृथ्वी के ध्रुवीय और उच्च समुद्री क्षेत्रों की खोज, सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए समुद्रीय संसाधनों की खोज और टिकाऊ दोहन के लिए प्रोद्योगिकी का विकास शामिल है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) इस पहल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो वैज्ञानिक ज्ञान को समाज के लिए मूल्यवान सेवाओं में परिवर्तित करता है। इन सेवाओं में शामिल हैं. जैसे कि मौसम के पूर्वानुमान और चेतावनियां, चक्रवात, बाढ़ और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए अलर्ट, भूकंप की निगरानी और अन्य.
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FIRST PUBLISHED : January 8, 2024, 07:27 IST