केंद्र सरकार ने मंगलवार को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) पर लगाए गए प्रतिबंध को पांच साल के लिए बड़ा दियाकेंद्रीय गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 की धारा 3 की उप धारा (1) और (3) को लागू करते हुए प्रतिबंध लगाया।
मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करते हुए बताया कि लिट्टे अभी भी उन गतिविधियों में शामिल है, जो देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
बता दें कि मई 2009 में श्रीलंका में अपनी सैन्य हार के बाद भी, लिट्टे ने अपनी ईलम अवधारणा को नहीं छोड़ा। यह गुप्त रूप से धन जुटाकर ईलम के लिए काम कर रहा है। दरअसल, ईलम का अर्थ तमिलों के लिए एक स्वतंत्र देश है। लिट्टे के नेताओं और कैडरों ने फिर एक बार अपने कार्यकर्ताओं को एकत्रित कर स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठन को पुनर्जीवित करने के प्रयास शुरू किए हैं।
मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि लिट्टे समर्थक जनता के बीच अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा दे रहे हैं। ये विशेष रूप से तमिलनाडु में लिट्टे के लिए समर्थन को जुटा रहे हैं। इससे भारत की क्षेत्रीय अखंडती पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
भारत ने 14 मई को 1992 में को लिट्टे पर प्रतिबंध लगाया था। उसके बाद से इस प्रतिबंध को बढ़ाया जा रहा है। इससे पहले यूरोपीय संघ, कनाडा और अमेरिका ने भी इस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था। बता दें कि साल 1987 में भारतीय शांति सेना उत्तरी श्रीलंका में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से वहां गई लेकिन वहां लिट्टे के साथ युद्ध में उसके करीब 1,200 जवान मारे गए थे।