श्री महावीर सिंह त्यागी जी को भारत रत्न मिलना चाहिए – विशाल त्यागी
देहरादून : त्यागी भूमिहार ब्राह्मण समाज समिति उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष विशाल त्यागी ने कहा कि त्यागी समाज और देश के गौरव श्री महावीर त्यागी जी को भारत रत्न मिलना चाहिए क्योकी श्री महावीर त्यागी जी के द्वारा किए गए कार्य सदेव राष्ट्र हित में रहे हैं |प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने देश के लिए असाधारण योगदान दिया है। इस सम्मान की गरिमा को बनाए रखने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि इसे केवल उन लोगों को ही दिया जाए जो वास्तव में इसके योग्य हैं। श्री महावीर सिंह त्यागी जी, जिन्हें प्यार से “बाबा त्यागी” के नाम से जाना जाता है, ऐसे ही एक व्यक्ति हैं जो भारत रत्न के लिए अत्यंत योग्य हैं। अतः मेरा सरकार से यही कहना है कि उन्हें भारत रतन मिलना चाहिये |
जीवन परिचय:
श्री महावीर सिंह त्यागी जी का जन्म 31 दिसंबर 1899 को उत्तर प्रदेश के रतनगढ़ गांव में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया और कुल 11 साल तक जेल यात्रा की। Read more…
स्वतंत्रता सेनानी:
श्री त्यागी जी महात्मा गांधी के अनुयायी थे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में भाग लिया, जिनमें असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन शामिल रहे।
राजनीतिक जीवन:
स्वतंत्रता के बाद, श्री त्यागी जी ने राजनीति में प्रवेश किया और वे 1952, 1957 और 1962 में देहरादून, बिजनौर (उत्तर-पश्चिम) और सहारनपुर (पश्चिम) लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे। उन्होंने केंद्रीय राजस्व मंत्री और रक्षा मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
कैसे बनें दिग्गज नेता **
हालांकि उस वक्त उन पर इतनी यातनाओं की वजह किसी एक अंग्रेज मजिस्ट्रेट की व्यक्तिगत नाराजगी थी, जिसने उन पर देशद्रोह का केस लगा दिया था और पूरी कोशिश थी कि महावीर त्यागी की अकड़ को खत्म कर सके, लेकिन एक सैन्य अधिकारी रहने वाले महावीर त्यागी को ना झुकना कुबूल था और ना ही माफी मांगना। वैसे भी वो सब कुछ कुर्बान करने की मंशा के साथ तो देश की आजादी की इस जंग में उतरे थे। हालांकि बाद में अंग्रेजी सरकार ने भी इस मामले से खुद को अलग कर लिया था। वो मजिस्ट्रेट बुलंद शहर का था और त्यागी की पकड़ उस वक्त पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में काफी तगड़ी थी। Read more…
मजिस्ट्रेट के साथ उनकी तनातनी और होने वाले अत्याचारों के चलते ना केवल जनता की सुहानुभूति उनके साथ हुई बल्कि कांग्रेस के बड़े दिग्गजों की नजर में वो सीधे आ गए। 1921 में गांधी ने उनको लेकर अपनी आवाज उठाई। त्यागी को उस वक्त बुलंद शहर में चार हजार लोगों की एक सभा को सम्बोधित करते वक्त गिरफ्तार कर लिया गया था।
मंत्री पद:
उन्होंने 1951 से 1953 तक केन्द्रीय राजस्व मंत्री और 1953 से 1957 तक रक्षा संगठन मंत्री (रक्षा मंत्री का कार्यभार भी पंडित नेहरू के पास था) के रूप में कार्य किया।
योगदान:
श्री त्यागी जी ने देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने देश में रक्षा उद्योग को मजबूत बनाने और सेना में भर्ती को बढ़ाने के लिए काम किया।देहरादून में ओएनजीसी जैसे उद्योगों को जमाने का कार्य किया | उन्होंने कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में भाग लिया, जिनमें असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन शामिल रहे। Read more…
राष्ट्रवादी:
वे एक सच्चे राष्ट्रवादी थे और उन्होंने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन का विरोध किया।महावीर त्यागी ने वर्ष 1962 के युद्ध के बाद अक्साई चिन क्षेत्र चीन के कब्जे में चले जाने के मुद्दे पर संसद में प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के सामने अपना तर्क बेबाकी से रखा।पंडित नेहरू ने कहा था कि ‘इस क्षेत्र में घास का एक तिनका नहीं उग सकता है…’। इस पर महावीर त्यागी ने अपने केश विहीन सिर से टोपी उतारी और कहा कि ‘यहां पर भी कुछ नहीं उगता, क्या इसे काट देना चाहिए या किसी और को दे देना चाहिए ?’