उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर पर बढ़ता विवाद: प्रमुख सचिव ऊर्जा ने दी सफाई, उपभोक्ताओं को बताया फायदेमंद

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

देहरादून। उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर लगाए जाने को लेकर विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। जहां सरकार इसे आम जनता के हित में एक बड़ा सुधार बता रही है, वहीं कुछ लोग इसे पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाली नीति करार दे रहे हैं।

इस मामले पर प्रमुख सचिव ऊर्जा डॉ. आर मीनाक्षी सुंदरम ने एक बार फिर सफाई देते हुए कहा कि स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद हैं और इससे बिजली रीडिंग व बिलिंग से जुड़ी शिकायतों में भारी कमी आएगी।

स्मार्ट मीटर से उपभोक्ताओं को क्या मिलेगा फायदा?

बिलिंग में पारदर्शिता: स्मार्ट मीटर से उपभोक्ताओं को रियल-टाइम बिजली खपत की जानकारी मिलेगी, जिससे गलत बिलिंग की समस्या खत्म हो जाएगी।

बिल भुगतान में आसानी: उपभोक्ता को विभिन्न ऑनलाइन भुगतान विकल्प मिलेंगे, जिससे बिजली बिल चुकाना और आसान होगा।

बिजली कटौती पर बेहतर नियंत्रण: उपभोक्ता स्मार्ट मीटर के जरिए अपने बिजली उपयोग को नियंत्रित कर सकेंगे और अनावश्यक बिजली खर्च रोक पाएंगे।

बिना शुल्क बदले जाएंगे स्मार्ट मीटर: सरकार ने स्पष्ट किया है कि उपभोक्ताओं से इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।


राष्ट्रीय स्तर पर चल रहा है यह कार्यक्रम

प्रमुख सचिव ने बताया कि स्मार्ट मीटर योजना एक राष्ट्रीय परियोजना है, जिसे भारत सरकार के सहयोग से देशभर में लागू किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य बिजली वितरण को अधिक कुशल, पारदर्शी और उपभोक्ता हितैषी बनाना है।

मुख्यमंत्री की अपील

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी जनता से इस पहल में सहयोग करने की अपील की है और कहा कि उत्तराखंड को डिजिटल और स्मार्ट ऊर्जा प्रणाली की ओर ले जाने के लिए यह जरूरी कदम है।

सरकार के इस दावे के बावजूद जनता में असंतोष बना हुआ है। अब देखना यह होगा कि सरकार इसे लेकर जनता की शंकाओं का समाधान कैसे करती है।

Leave a Comment

  • Digital Griot