देहरादून उत्तराखंड की राजधानी, ने अपनी ठंडी कोहरों और शीतलहरों में अपने लोगों को एक नई चुनौती दी है – हीटर और अलाव की आवश्यकता। सर्दी के इस मौसम में, इन उपायों के बिना जीवन नहीं रुक रहा है।
जब कोहरा देहरादून को अपने आगोश में लपेटता है, तो शहर की ठंडक ने लोगों को अजीबोगरीब स्थिति में डाल दिया है। घरों के बाहर अलाव, लोग हीटरों के साथ स्नान करने के बारे में सोच रहे हैं, जबकि शीतलहर के बावजूद भी अलाव जलाने के लिए लोगों की मांग बढ़ी है।
हीटरों की आवश्यकता में वृद्धि के साथ-साथ, अलाव की मांग ने भी विस्तार पाया है।
इस माहौल में, लोग अपने घरों को गरम रखकर हीटर और अलाव के साथ आनंद ले रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही एक सामाजिक जिम्मेदारी भी महसूस कर रहे हैं। ऊर्जा की बचत और प्रदूषण के कमी के लिए भी कदम उठा रहे हैं।
इस नए साल में, देहरादून ने नागरिकों को मजबूर किया है कि वे न केवल अपनी राहों को ताजगी से रौंगत भरें, बल्कि उन्हें अपने ऊर्जा स्रोतों को भी सुरक्षित रखने का एक सामाजिक कर्तव्य निभाना होगा।