हल्द्वानी की हिंसा में, एक दिन के ‘मेहमान’ की भी ली जान

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हल्द्वानी की हिंसा में जान गंवाने वाला बिहार का प्रकाश हादसे से एक दिन पहले ही रोजगार की तलाश में पहली बार हल्द्वानी आया था। यह जानकारी रविवार को प्रकाश का शव लेने पहुंचे उसके जीजा अंकित कुमार सिंह ने दी।

उन्होंने बताया कि प्रकाश घरवालों की मदद करने का सपना लेकर बिहार से उत्तराखंड पहुंचा था। वह परिवार की मदद तो नहीं कर सका, उनको जीवन भर का दर्द जरूर दे गया। वनभूलपुरा में नौ फरवरी की रात उपद्रव के दौरान मारे गए प्रकाश के परिजन दो दिन बाद हल्द्वानी पहुंचे। रविवार को पोस्टमार्टम के बाद शव उनको सौंपा दिया गया।

9 फरवरी की सुबह गौलापुल के पास एक युवक का शव मिला था। पुलिस ने शिनाख्त की तो पता चला कि उसका नाम प्रकाश है लेकिन परिवार के बारे में कुछ पता नहीं चल सका। उसकी जेब से कुछ दस्तावेज और मंगलसूत्र आदि मिले। पुलिस ने शव मोर्चरी में रखकर परिजनों की तलाश की।अंकित ने बताया कि प्रकाश परिवार का बड़ा बेटा था। उसकी पांच बहनें हैं और एक छोटा भाई भी है। तीन बहनों की शादी हो चुकी है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से प्रकाश रोजगार की तलाश में हल्द्वानी आया था।

शव लेने पहुंचे प्रकाश के बहनोई अंकित ने बताया कि प्रकाश कुमार सिंह (24) बिहार के भोजपुर आरा जिला स्थित छीनेगांव का था। पिता सामदेव सिंह और मां इंदू देवी दूसरे की खेती बटाई पर करके परिवार पालते हैं। प्रकाश स्नातक पास कर चुका था और रोजगार की तलाश में पहली बार आठ फरवरी को उत्तराखंड आया था। हल्द्वानी पहुंचने के बाद से उसकी परिवार वालों कोई बातचीत नहीं हुई थी। 9 फरवरी से लगातार घर वाले फोन लगा रहे थे लेकिन कॉल नहीं उठ रही थी। 10 की दोपहर प्रकाश के बहनोई ने कॉल की तो फोन मेडिकल चौकी पुलिस के सिपाही ने उठाया और मौत की खबर दी। रविवार को अंकित अपने एक मित्र के साथ नोएडा से हल्द्वानी पहुंचे।

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