



हैदराबाद चिंतन शिविर: ग्रासरूट स्तर पर खेल विकास से निकलेंगे चैंपियन – रेखा आर्या
उत्तराखंड के खेल मंत्री का बड़ा बयान, 38वें राष्ट्रीय खेलों की सफलता पर मिली सराहना
हैदराबाद/देहरादून, 7 मार्च – तेलंगाना के हैदराबाद में आयोजित राष्ट्रीय चिंतन शिविर में उत्तराखंड की खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि यदि भारत को खेलों में चैंपियन तैयार करने हैं, तो ग्रासरूट लेवल पर ठोस प्रयास करने होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि खिलाड़ियों को उनकी प्रारंभिक अवस्था में पहचान कर आवश्यक संसाधन और प्रशिक्षण उपलब्ध कराना आवश्यक है।
खेल मंत्री ने दी योजनाओं की जानकारी
रेखा आर्या ने बताया कि उत्तराखंड में उदीयमान खिलाड़ियों के लिए दो योजनाएं पहले से ही लागू हैं, और अब उनके सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। उन्होंने कहा कि यदि ओलंपिक जैसे आयोजनों में भारत का प्रदर्शन सुधारना है, तो संभावित खिलाड़ियों को समय रहते चुनकर, आयोजन स्थल जैसी वास्तविक परिस्थितियों में कम से कम छह महीने की कोचिंग दी जानी चाहिए।
38वें राष्ट्रीय खेलों की सफलता पर उत्तराखंड को मिली वाहवाही
चिंतन शिविर में जब 38वें राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन का जिक्र हुआ, तो पूरे सभागार में तालियों की गूंज सुनाई दी। इस दौरान उत्तराखंड और खेल मंत्री रेखा आर्या की सराहना की गई। उन्होंने कहा कि राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल सुविधाएं तैयार की गई हैं, जिनका लाभ अन्य राज्यों के खिलाड़ी भी उठा सकते हैं।
खेल मंत्री ने दिया सहयोग का आश्वासन
रेखा आर्या ने अन्य राज्यों को भी उत्तराखंड की खेल सुविधाओं का उपयोग करने का न्योता दिया और कहा कि उत्तराखंड सरकार खेल विकास के लिए हर संभव सहयोग करने को तैयार है।
चिंतन शिविर में देशभर के खेल मंत्रियों ने भाग लिया
इस चिंतन शिविर में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खेल मंत्रियों ने हिस्सा लिया। केंद्रीय खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 2036 ओलंपिक की मेजबानी करने का सपना देखा है, और इसे साकार करने के लिए सभी राज्यों को मिलकर प्रयास करने होंगे।
उत्तराखंड के खेल मंत्री रेखा आर्या ने इस राष्ट्रीय मंच से ग्रासरूट स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने और खिलाड़ियों के समुचित विकास के लिए ठोस रणनीति पर बल दिया। उनके इस दृष्टिकोण को अन्य राज्यों के मंत्रियों का भी समर्थन मिला, जिससे भविष्य में भारत की खेल नीति को एक नई दिशा मिल सकती है।
