जौनसार–बावर में शुरू हुआ पांच दिवसीय बूढ़ी दिवाली पर्व — मशालों की रोशनी और लोकनृत्यों से जनजातीय क्षेत्र में उमंग की लहर

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जौनसार-बावर के 200 से अधिक गांवों में आज से पौराणिक बूढ़ी दिवाली का पांच दिवसीय उत्सव शुरू हो गया। देशभर में दिवाली के ठीक एक महीने बाद मनाए जाने वाले इस अनोखे पर्व ने पूरे जनजातीय क्षेत्र में उत्सव का रंग घोल दिया है।

पहली रात से ही ग्रामीण परंपरागत वेशभूषा में जलती मशालें लेकर समूहों में नाचते-गाते नजर आए। ढोल–दमाऊ की थाप पर हारूल, झेंता और रांसो जैसे लोकनृत्य पूरे क्षेत्र में नई ऊर्जा भर रहे हैं।

दूर–दूर तक मशालों की लंबी कतारें और रात के अंधेरे में गूंजती लोकधुनें इस पर्व की अनोखी पहचान बनती हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि बूढ़ी दिवाली सिर्फ त्योहार नहीं, बल्कि जौनसारी परंपराओं, आस्था और सामूहिक संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। आने वाले पांच दिनों तक जनजातीय क्षेत्र इन्हीं पारंपरिक कार्यक्रमों, नृत्यों और सामुदायिक उत्सवों में सराबोर रहेगा।

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Author: Vinod

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