



सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की अगुवाई में देहरादून में आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर के पहले दिन कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण पर गहन मंथन हुआ।
ये चार मूल मंत्र शिविर की प्रमुख थीम रहे।
शिविर के पहले दिन विभिन्न सत्रों में यह विचार किया गया कि कैसे केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल को और बेहतर बनाकर वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाया जा सकता है। विशेष तौर पर अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को समय पर छात्रवृत्ति उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया गया। विभागीय सचिव अमित यादव ने राज्यों से स्पष्ट कहा कि वे छात्रवृत्ति के प्रस्तावों में देरी न करें, क्योंकि सरकार के पास फंड की कोई कमी नहीं है।
दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल ने गोवा और उड़ीसा के सराहनीय प्रयासों का उदाहरण देते हुए, सभी राज्यों से समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने का आह्वान किया।
इस दौरान नशामुक्ति अभियान पर चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने उत्तराखंड के एक नौजवान की प्रेरणादायक कहानी साझा की, जिसने नशे से मुक्ति पाकर समाज सेवा की राह पकड़ी।
चिंतन शिविर की एक खास बात यह रही कि पूरे कार्यक्रम को साइन लैंग्वेज में भी प्रस्तुत किया गया, ताकि दिव्यांग प्रतिभागियों को पूरी जानकारी सुलभ हो सके।
शिविर का समापन 8 अप्रैल को होगा, जिसमें अब तक हुए सत्रों की समीक्षा की जाएगी और केंद्रीय मंत्री समापन समारोह में मीडिया को भी संबोधित करेंगे।