राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर बीते दिन उत्तराखंड के सभी विद्यालयों में इसका सामूहिक गायन किया गया। जहां पूरा प्रदेश इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बना, वहीं कुछ मुस्लिम मौलानाओं और स्कॉलर्स ने इसे इस्लाम के विरुद्ध बताते हुए आपत्ति दर्ज की है।
इन विरोधों पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वंदे मातरम और संविधान दिवस का विरोध करने वाले लोग या तो गुमराह हैं या गुमराह किए गए हैं।
शादाब शम्स ने कहा कि आज़ादी के दौर में “मातरै वतन हिंदुस्तान जिंदाबाद” का नारा खुद उलेमा इकराम ने दिया था, यह किसी एक धर्म या समुदाय का मुद्दा नहीं है बल्कि देशभक्ति की भावना है। उन्होंने मशहूर संगीतकार ए.आर. रहमान के गीत “मां तुझे सलाम” का उदाहरण देते हुए कहा कि हर धर्म में मां का सम्मान सर्वोपरि माना गया है, और वंदे मातरम इसी सम्मान का प्रतीक है।
उन्होंने यह भी कहा कि देशहित से जुड़े मुद्दों पर अनावश्यक विवाद खड़ा करना गलत है और समाज को बांटने का प्रयास है।










